एक अच्छा पिता कैसे बने ? - जानिये 12 गुण जो एक अच्छे पिता में होने चाहिए - Ek Achha Pita Kaise Bane

एक अच्छा पिता कैसे बने ? - जानिये 12 गुण जो एक अच्छे पिता में होने चाहिए - How To Become A Good Father in Hindi

 

 

एक अच्छा पिता कैसे बने ? - How To Become A Good Father in Hindi

एक अच्छा पिता कैसे बने - Ek Achha Pita Kaise Bane

Relationship Tips : एक अच्छा पिता बनना हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि वह अपने बच्चों का अच्छा पिता बन पाए उनकी परवरिश अच्छे से कर पाए । क्योंकि आजकल के बच्चे बहुत ही अलग विचार के हो रहे हैं उनके सोचने का विचार करने का नजरिया बदल चुका है । ऐसे में कई बार बच्चे ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिससे बच्चों के साथ-साथ माता-पिता को भी आने वाली मुसीबतों का सामना करना पड़ता है । 

ऐसे में एक पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बच्चों को सही संस्कार दे उनकी परवरिश अच्छे से करें । जिससे उनके बच्चों का फ्यूचर अच्छा हो वह आत्मनिर्भर समझदार और संस्कारी बन सके इसके लिए एक पिता को कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है । कि बच्चों की परवरिश किस तरह से की जाए की उनका जीवन सुखमय हो और बच्चे अपने माता-पिता का नाम रोशन कर सकें । इसके लिए आज हम यहां आपको कुछ टिप्स बताएंगे जिस को फॉलो करके आप एक अच्छे पिता बन सकेंगे और अपने बच्चों का फ्यूचर बेहतर बना पाएंगे।


अनुशासन सिखाएं:-


एक अच्छा पिता मैं यह गुड़ जरूर होना चाहिए कि वह अपने बच्चों को अनुशासन में रहने को सिखाएं बच्चे कोई भी कार्य अनुशासन में रहकर करेंगे ।  तो वह गलती करने से बचेंगे कई बार बच्चे को अनुशासन ना शिखा पाने से वह गलती कर बैठते हैं। अनुशासन में रहने का मतलब यह होता है कि समय पर पढ़ाई करना समय पर खेलकूद करना बड़ों का रिस्पेक्ट करना सबका ख्याल रखना । 
 
बड़ों की बात मानना छोटों को प्यार करना सब कुछ समय पर हो इसे ही अनुशासन कहते हैं अगर यह सब बात बच्चे छोटी और से नहीं सीखेंगे । तो बड़े होने के बाद वह संस्कारी नहीं बन पाएंगे । वह कुछ भी अपने मनमर्जी से करने लगेंगे अगर बचपन में बच्चों को अनुशासन सिखा दिया जाए तो बड़े होकर वह अपनी जिंदगी को बेहतर बना पाएंगे । इसलिए एक पिता को अपने बच्चों को अनुशासन जरूर सिखाना चाहिए


एक अच्छा पिता कैसे बने ? - How To Become A Good Father in Hindi


बच्चे को समय दें:-


एक अच्छा पिता अपने बच्चे को समय देना चाहिए बच्चे नादान होते हैं और मासूम होते हैं उन्हें अच्छे बुरे का समझ नहीं होता कई बार वह जाने अनजाने में गलती कर बैठते हैं । ऐसे में उन्हें कई सवालों का जवाब चाहिए होता है वह उसे अपने मन में लेकर सोचते रहते हैं । लेकिन आप अपने बच्चों को समय देंगे तो आपके बच्चे आपको अपने दिल की बात शेयर करेंगे वह आप से सीखेंगे । 
 
कई बार बच्चे अपने माता-पिता से कुछ कहना चाहते हैं बातें करना चाहते हैं लेकिन पिता अपने बच्चों को उस समय नहीं दे पाते हैं तो ऐसे में बच्चे अपने दिल की बात को दिल में ही रख लेते हैं और चीजों को बेहतर तरीके से नहीं समझ पाते हैं । और जाने अनजाने में कुछ गलती कर बैठते हैं इसलिए एक पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों के साथ समय बिता है उनका ध्यान रखें उन्हें समय-समय पर जरूरी बातों को सिखाते रहे।

बच्चे का दोस्त बने:-


एक बेहतर पिता बनने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि पिता को अपने बच्चों का दोस्त बनना चाहिए । अगर आप एक पिता के तौर पर अपने बच्चे से पेश आएंगे तो वह जो जरूरी हो वही बात करेंगे । इसके अलावा बहुत सारी बात तो अपने मन में दबा देंगे नहीं कहेंगे । लेकिन अगर आप उनका दोस्त बनकर रहेंगे तो अपने दिल की सारी बातें आपसे जरूर शेयर करेंगे । 
 
क्योंकि दोस्त सबसे ज्यादा करीब होते हैं कोई भी इंसान अपने दिल की बात दोस्त से शेयर जरूर पड़ता है । आज माता-पिता से ज्यादा लोग अपने दिल की बात दोस्त से शेयर करना ज्यादा बेहतर महसूस करते हैं । इसलिए एक पिता को भी चाहिए कि वह अपने बच्चे का दोस्त बने जिससे बच्चे उनसे अपने दिल की बात शेयर कर पाएंगे।
 
 
 
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अपने बच्चे का दूसरों से तुलना ना करें:-


एक पिता को कभी भी अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से नहीं करना चाहिए चाहे बच्चे पढ़ाई में अच्छे हो या ना हो चाहे उनका नंबर कम ही क्यों ना हो । कभी भी अपने बच्चों को दूसरों से कम प्यार नहीं करना चाहिए और उन पर प्रेशर नहीं डालना चाहिए । जैसे हाथ में 5 उंगलियां होती है लेकिन सभी छोटे बड़े आकार के होते हैं लेकिन होते साथ ही हैं । वैसे ही सारे बच्चे एक जैसे नहीं होते साथ रहते हैं । लेकिन सभी के गुण विशेषताएं अलग-अलग होते हैं 
 
कोई पढ़ने में तेज होता है कोई पढ़ने में कमजोर होता है ऐसे में कई बार कुछ ऐसे माता-पिता होते हैं । जो पढ़ाई लिखाई को लेकर अपने बच्चे पर प्रेशर बनाते हैं जिससे बच्चे के दिमाग का विकास नहीं हो पाता है वह अपने आप को प्रेशर में महसूस करते हैं और जाने अनजाने में कुछ गलत कर बैठते हैं । जिससे बाद में माता-पिता को पछतावा होता है इसलिए एक अच्छे पिता का में यह गुण होना चाहिए कि वह अपने बच्चों को दूसरों से तुलना न करें । बल्कि अपने बच्चे को बेहतर बनाने में कोशिश करें उसे कुछ अच्छी बातें सिखाएं जिससे उसका जिंदगी बेहतर बन सके।


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बच्चों पर गुस्सा ना करें:-


बच्चे पर कभी भी गुस्सा नहीं करना चाहिए कई बार माता-पिता गुस्से में आकर बच्चे को भला बुरा कह देते हैं और बच्चे बुरा मान जाते हैं और जाने अनजाने में कुछ गलत फैसले ले लेते हैं । जिससे बाद में पिता को भी पछतावा होता है आजकल ऐसे मामले बहुत देखने को मिलते हैं कि माता-पिता की छोटी-छोटी बातों से बच्चे जल्दी नाराज हो जाते हैं और घर छोड़ कर चले जाते हैं । 
 
जिससे माता पिता को ही बाद में पछतावा होता है और बच्चे को तकलीफ तो होती ही है बच्चे मासूम होते हैं नादान होते हैं । उन्होंने दुनिया नहीं देखा होता है ऐसे में वह अपने पिता से अच्छी बातों का ही उम्मीद रखते हैं उन्हें भला-बुरा का पहचान नहीं होता है । ऐसे में पिता को चाहिए कि अपने बच्चों से हमेशा मीठे स्वर में बातें करें अगर जाने अनजाने में बच्चों से गलती हो गई हो तो उन्हें प्यार से समझा है ना कि उन पर गुस्सा कर उन्हें मारे पीटे ।

बच्चों को सरप्राइस दे:-


एक पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चे को समय-समय पर सरप्राइस दे उनकी जो इच्छा है उसको कोशिश करें जरूर पूरा करें । कई बार ऐसा होता है कि बच्चे अपने पिता से कुछ डिमांड करते हैं और पिता उसको पूरा करते हैं ऐसे हर बार होता है बार-बार बच्चे की डिमांड को पूरा करने से बच्चे जिद्दी बन जाते हैं । बाद में आगे चलकर उन्हें कुछ भी चाहिए हो तो जिद करने लगते हैं 
 
इसलिए बच्चे की जीद को हर बार पूरी करने के बजाय पिता को उस समय इग्नोर करना चाहिए और बाद में सरप्राइज के रूप में उन्हें वह गिफ्ट देना चाहिए जो बच्चों को पसंद हो इससे बच्चे को खुशी मिलती है और वह अपने पिता के प्यार को समझ पाते हैं । लेकिन वही अगर आप उनकी हर इच्छा को बार-बार पूरी करेंगे तो वह आपके प्यार को नहीं समझ पाएंगे । लेकिन उसी बात को आप अगर सरप्राइस के रूप में करेंगे तो वह आपके प्यार को समझेंगे।


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बच्चे की हरकतों पर ध्यान दें:-


बच्चों की हरकतों पर ध्यान दें बच्चे को जब समय मिल रहा है तो वह अकेले में क्या कर रहे हैं उनका व्यवहार कैसा है इस पर जरूर ध्यान दें । क्योंकि बच्चे बहुत स्मार्ट होते हैं वह बड़ों के सामने ऐसे रिजेक्ट करते हैं जैसे वह बहुत ही सुलझे हुए हैं लेकिन बड़ों के पास ना होने के बाद वह शरारती हो जाते हैं । 
 
बहुत कुछ गलतियां करते रहते हैं । जिनको समय रहते हुए ध्यान ना दिया जाए तो बच्चे बड़े होकर भी उन्हीं छोटी-छोटी गलतियों को दोहराते हैं जो आगे जाकर उनके फ्यूचर को बर्बाद कर सकती है ऐसे में एक अच्छे पिता की हमेशा यह कोशिश होनी चाहिए कि वह बच्चों की हरकतों पर ध्यान दें । 
 
खासकर आजकल के स्मार्टफोन के समय में आज जहां इंटरनेट जितनी तेजी से बढ़ रहा है उतनी ही तेजी से स्मार्टफोन से लोग जोड़ रहे हैं और बच्चे सबसे ज्यादा स्मार्ट फोन से जोड़ रहे हैं ऐसे इसमें स्मार्टफोन के माध्यम से भी बच्चे गलत रास्ते पर चल सकते हैं । 
 
बच्चे स्मार्टफोन से केवल पढ़ाई करते हैं ऐसी कोई जरूरी नहीं स्मार्टफोन पर इंटरनेट से पढ़ाई के अलावा और भी बहुत कुछ किया जा सकता है । जिनमें अच्छी बुरे सारी चीजें होती है इंटरनेट की दुनिया हमारी दिख रही दुनिया की तरह ही होती है वहां भी अच्छे बुरे सभी चीज होते हैं । 
 
जिनको इंसान को सोच समझकर देखना यह समझना चाहिए लेकिन बच्चों में यह जानकारी नहीं होती है क्या चीज उनके लिए अच्छा है क्या उनके लिए बुरा है । ऐसे में एक पिता का यह जिम्मेदारी बनता है कि बच्चे को स्मार्टफोन देते समय स्मार्टफोन में चाइल्ड लॉक फीचर्स का इस्तेमाल करें 
 
इसके अलावा बच्चे स्मार्टफोन में क्या देखते हैं । इस पर निगरानी रखें जिससे बच्चे का बेहतर विकास हो सके और साथ ही स्मार्ट फोन के स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने दें इससे बच्चों की आंखों पर दबाव पड़ता है । और समय से पहले बच्चे को चश्मा लगाना पड़ सकता है इस पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी होता है।

बच्चों की दोस्तों पर ध्यान दें:-


बच्चों के दोस्तों पर ध्यान देना चाहिए बच्चे किस प्रकार के दोस्तों के बीच हैं उनके दोस्त कैसे हैं उनके व्यवहार कैसे हैं इस पर भी एक पिता को जरूर ध्यान देना चाहिए । कई बार बच्चे घर से सीखने के बाद समाज से सीखते हैं समाज में जैसे उनके दोस्त मिलते हैं जैसे दोस्त की व्यवहार होते हैं वैसा ही बच्चे सीखने लगते हैं ऐसे में बच्चों की जो दोस्ती की फील्ड है उनमें अच्छे दोस्त हो इसकी निगरानी एक पिता को जरूर करनी चाहिए बच्चों को नहीं पता कौन दोस्त अच्छे होते हैं । कौन बुरे इसलिए पिता की यह जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों के दोस्तों पर खास ध्यान रखें । 
 
कई बार हमारे बच्चे अच्छे होते हैं वह कोई गलतियां नहीं करते लेकिन दोस्तों के बहकावे में आकर कुछ बड़ी गलतियां कर बैठते हैं । जिससे दोस्तों के साथ साथ हमें अपने बच्चों को परेशानी में देखना पड़ सकता है। हमारा माहौल जैसा रहेगा हम वैसा बनेंगे और हमारे बच्चे जिस माहौल में रहेंगे वैसा ही उनका विकास होगा इसलिए बच्चे के माहौल को यानी कि वह किस दोस्ती में रह रहे हैं कैसा उनका समाज है । इस बात का सुनिश्चित एक पिता को जरूर करना चाहिए अगर समाज अच्छा है और बच्चे के दोस्त आसपास के लोग सभी अच्छे हैं तो बच्चे का विकास होगा।

बच्चे की बात सुने:-


एक अच्छे पिता की या पहचान होती है कि वह अपने बच्चों की बातों को गौर से सुनता है समझता है फिर रिजेक्ट करता है अपने बच्चों की बात को कभी भी अनसुना ना करें । बच्चे कई बार कुछ सवालों का जवाब अपने पिता से चाहते हैं अगर उन्हें उस सवाल का जवाब नहीं मिलता है । 
 
तो वह उस सवाल का जवाब कहीं और से पता करने की कोशिश करते हैं अगर उन्हें उसका गलत जवाब मिलता है तो वह गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं । ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपनी बच्चों की बातों को सुने समझे और उनका सही मार्गदर्शन करें 
 

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बच्चे की जरूरत का ख्याल रखें:-


एक पिता को चाहिए कि बच्चों की हर जरूरत का ख्याल रखें बच्चे को समय पर पढ़ाना दिखाना उनकी परवरिश करना बहुत जरूरी होता है । बच्चों का सही मानसिक विकास सही से तभी हो पाता है जब एक पिता अपने बच्चों की ओर ध्यान दें उनके लिए जो अच्छा है उसे करें इसलिए आपको अपने बच्चों की जरूरत का ध्यान रखते हुए अपने फाइनेंशियल कंडीशन को भी सही करना चाहिए । एक पिता बनने के बाद व्यक्ति पर इतनी जिम्मेदारी आ जाती है कि उसे पैसों को लेकर अगर कमी हो जाए तो उसके बच्चे का समय सही समय पर विकास नहीं हो पाएगा । 
 
उनके बच्चों की परवरिश अच्छे से नहीं हो पाएगी जैसे बच्चों की पढ़ाई लिखाई उनका सही खान पीन उनका माहौल उनका सही एजुकेशन इसके अलावा और भी बहुत सारे जैसे बच्चों का हेल्थ का ध्यान ऐसे बहुत सारी जिम्मेदारी होती है । जो पिता बनने के बाद आती है। एक अच्छा पिता बन्ने के साथ-साथ बच्चों का सही परवरिश हो सके इसके लिए पिता को अपनी आमदनी को बढ़ाना चाहिए पैसे के स्रोत को बढ़ाना चाहिए । जिससे वह ज्यादा से ज्यादा आमदनी कर सके और अपने बच्चे की सभी जरूरत को पूरा कर सके ।
 

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बच्चों के सामने अपशब्द ना कहें:-


बच्चों के सामने बड़ों को कभी भी अप शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए बच्चों के सामने कभी भी बड़ों को लड़ाई झगड़े नहीं करनी चाहिए । एक पिता को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे वही सीखते हैं जो माता-पिता करते हैं बच्चे वह नहीं सीखते जो माता-पिता कहते हैं जो ऐसा माता-पिता करेंगे बच्चे वैसा ही सीखेंगे । इसलिए अपने बच्चों के सामने अच्छे से पेश है अपना व्यवहार अच्छा बनाए रखें 
 
जिससे उनका सही विकास हो पाए घर हर घर में थोड़ी बहुत परेशानी होती है पति पत्नी के बीच झगड़े होते हैं । पति पत्नी के झगड़े को बच्चों से अलग अकेले में सुलझाने की कोशिश करें । बच्चों के सामने बात बात पर ना झगड़े नहीं तो बच्चे के दिमाग पर इससे बुरा असर पड़ेगा और बाद में वही बच्चे अपने पिता की रिस्पेक्ट नहीं कर पाते हैं । इसलिए बच्चों के सामने हमेशा प्रणाम होकर रहना चाहिए कभी गुस्सा नहीं करना चाहिए।
 

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बच्चे को कुछ नया सीखने दे:-


बच्चों को समझदार बनाने के लिए उन्हें हमेशा नए-नए चीजों को सीखने में मदद करनी चाहिए उन्हें सेल्फ डिपेंडेंट का गुर सिखाना चाहिए । कि वह छोटी-छोटी फैसले खुद ले सके उसे पूरा करने की कोशिश करें अगर आप अपने बच्चे को फैसले लेने में उनकी हर बार सपोर्ट करेंगे तो वह पूरी तरीके से आप पर डिपेंड हो जाएंगे । 
 
वह हर बात के लिए आप से परमिशन लेंगे वह खुद से नहीं सीख और समझ पाएंगे कब कहां क्या फैसला लेना है जिंदगी में अच्छे बुरे सभी पल आते हैं ऐसे में कौन से समय में हमें किस प्रकार अच्छे फैसले लेने चाहिए। । इस बात का गुरु बच्चे को जरूर सिखाना चाहिए बच्चों को खुद से सीखने देना चाहिए । 
 
बच्चे कुछ गलतियां करेंगे तो उससे कुछ सीखेंगे भी इस बात पर भी माता-पिता को ध्यान देना चाहिए कि बच्चे अपने आप से कुछ सीख पाए समझ पाए जिससे उनकी लाइफ अच्छी होगी अगर वह खुद से सीखेंगे गलती करेंगे तो उनको तकलीफ होगी । फिर उस गलती को सुधार लेंगे तो उनको खुशी मिलेगी इससे वह समझ जाएंगे कि जिंदगी में अच्छे बुरे सभी समय आते हैं कभी अच्छा होता है कभी बुरा होता है वह इससे कभी गया बढ़ाएंगे नहीं बल्कि आगे बढ़ने का रास्ता ढूंढ लेंगे । 
 
लेकिन आप उनको हमेशा सपोर्ट करेंगे उनके हर जरूरत को पूरा करेंगे तो वह हमेशा सुख के आदि हो जाएंगे और दुखों का सामना नहीं कर पाएंगे । जिंदगी सुख-दुख से जुड़ी हुई है यहां सुख के बाद दुख दोनों आते हैं बच्चों को सुख दुख दोनों का अनुभव कराना चाहिए । 
 
जिससे बच्चे का बेहतर विकास हो सके कई बार बच्चे बड़े होने के बाद जब उनके सामने मुसीबत आती है आती है तो वह घबरा जाते हैं और घबराहट में गलत फैसला ले लेते हैं इससे बाद में माता पिता और बच्चे दोनों को पछताना पड़ता है इसलिए बच्चे को सुख दुख में रहने का समझदारी से काम करने का तरीका जरूर बताएं या एक पिता की जिम्मेदारी बनती है।

Conclusion :- Ek Achha Pita Kaise Bane


तो हमें उम्मीद है आपको हमारी यह जानकारी Ek Achha Pita Kaise Bane अच्छी लगी होगी । अगर आपके मन में कोई और सवाल हो तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद
RK

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